गुजरात के भावनगर जिला के शतरुंजया पहाड़ पर पालिताना जैन मंदिर स्थित हैं। 900 से अधिक मंदिरों वाले शतरुंजया पहाड़ पर स्थित पालिताना जैन मंदिर जैन धर्म के 24 तीर्थंकर भगवान को समर्पित है। पालिताना के इन जैन मंदिरों को टक्स भी कहा जाता है। यह जैन धर्म के पाँच प्रमुख तीर्थों में से एक हैं। इस मंदिर की यात्रा करना प्रत्येक जैन अपना कर्तव्य मानते हैं।
पालिताना का इतिहास (History of palitana in Hindi)
पालिताना का इतिहास राजा उनाद जी की साहसिक गाथाओं से शुरु होता है। राजा उनाद ने सीहोर और भावनगर के राजा से युद्ध कर उन्हें पराजित किया था। शतरुंजया पर्वत पर स्थित जैन मंदिर पहले तीर्थंकर ऋषभदेव को समर्पित हैं। भगवान ऋषभदेव जी को आदिनाथ के नाम से भी जाना जाता है।
पालिताना के मुख्य मंदिर (Main temple of palitana)
पालिताना में कई जैन मंदिर हैं जिनमें आदिनाथ, कुमारपाल, विमलशाह, समप्रतिराजा, चौमुख आदि मंदिर बेहद आकर्षक हैं। संगमरमर एवं प्लास्टर से बने यह मंदिर अपनी नक्काशी व मूर्तिकला के कारण विश्वभर में प्रसिद्ध है।
पालिताना की मान्यता (Importance of palitana)
पालिताना के मंदिर 11वीं एवं 12वीं सदी में बने हैं। इन मंदिरों के बारे में मान्यता है कि ये मंदिर जैन तीर्थंकरों को समर्पित हैं। कई जैन तीर्थकरों ने यहां पर निर्वाण यानि मोक्ष प्राप्त किया था। इसी कारण इस क्षेत्र को "सिद्धक्षेत्र" भी कहते हैं।
पालिताना की मान्यता है कि रात के समय भगवान विश्राम करते हैं। इस कारण रात के समय मंदिर को बंद कर दिया जाता है। इन मंदिरों के दर्शन के लिए गए सभी श्रद्धालुओं को संध्या होने से पहले दर्शन करके पहाड़ से नीचे उतरना पड़ता है।
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